हम सभी को पता है कि हर के गावं में जिला परिषद, पंचायत समिति, मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य जरूर होता है जो उस गावं के मुद्दे को हल करता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इन सब की तनख्वा कितनी होती है। आज के इस पोस्ट के जरिये हम आपको बताने जा रहे हैं कि इनकी तनख्वा कितनी होती है, और वो पैसे कैसे कमाते है आदि सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे। पंचायती राज व्यवस्था हमेशा से ग्रामीण इलाके में लागू की गई है। पंचायती व्यवस्था और सरपंच के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान लेने के लिए आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ना पड़ेगा।
वैसे तो कुछ लोगों का मानना है कि वह लाखों रुपए कमाते होंगे लेकिन ऐसा नहीं है। उनकी इतनी ज्यादा सैलरी नहीं होती है। भले ही उनको चुनाव में लाखों रुपए खर्च करने पड़ते है ताकि वह चुनाव जीत जाएँ। एक बार चुनाव जीत जाने के बाद उन्हें ग्रामीण लोग इज़्ज़त से देखते हैं और जो भी मसला होता है सरपंच या मुखिया ही हल करता है।
तो आइये जानते है की कौन कितना कमाते है?
यूं तो बिहार में MLA एवं MLC को ₹40 हजार तक सैलरी एवं 50 हजार से ₹70 हजार तक अन्य भक्ता के रूप में मिलता है। लेकिन बिहार के ग्राम पंचायत के पदों पर आसीन मुखिया, सरपंच, समिति, वार्ड सदस्य एवं पंच की सैलरी बहुत ही कम है।
- जिला परिषद अध्यक्ष: 12 हजार रुपए प्रतिमाह,
- जिला परिषद उपाध्यक्ष: 10 हजार रुपए प्रतिमाह,
- पंचायत समिति प्रमुख: 10 हजार रुपए प्रतिमाह,
- पंचायत समिति उप-प्रमुख: 5 हजार रुपए प्रतिमाह,
- मुखिया: 2500 रुपए प्रतिमाह,
- उप मुखिया: 1200 रुपए प्रतिमाह,
- सरपंच: 2500 रुपए प्रतिमाह,
- उप सरपंच: 1200 रुपए प्रतिमाह,
- जिला परिषद सदस्य: 2500 रुपए प्रतिमाह,
- पंचायत समिति सदस्य: 1000 प्रतिमाह,
- वार्ड सदस्य: 500 रुपए प्रतिमाह,
- पंच: 500 रुपए प्रतिमाह,
- न्यायमित्र: 7000 रुपए प्रतिमाह,