नवरात्रि पूजा के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा देवी की पूजा करने की प्रथा है। चंद्रघंटा नाम का अर्थ है जिसके माथे में चंद्रमा है। इस रूप में देवी माँ एक बाघ की सवारी करती है और उसके माथे को सजाते हुए एक अर्धचंद्र है।
मां चंद्रघंटा की कथा
कहा जाता है की विवाह के दिन, शिव सबसे भयानक रूप में राजा हिमावन के महल में अजीबोगरीब बारात के साथ पहुंचते हैं। भगवान शिव के इस तरह के भयानक रूप और उनकी अजीब बारात को देखकर पार्वती की मां और अन्य रिश्तेदार सदमे की स्थिति में आ जाते हैं। अपने परिवार और भगवान शिव के लिए किसी भी शर्मिंदगी से बचने के लिए, माँ पार्वती खुद को एक भयानक रूप – चंद्रघंटा में बदल देती है। फिर भगवन शिव से प्रार्थना करती है और शिव को एक सुंदर राजकुमार का रूप लेने के लिए राजी करती है। इस प्रकार शिव कई रत्नों से युक्त एक आकर्षक राजकुमार के रूप में प्रकट होते है। चंद्रघंटा मां दुर्गा का विवाहित रूप है। वह दस हथियार त्रिशूल, कमल, गदा, कमंडल, तलवार, धनुष, तीर, जप माला, अभयमुद्रा, ज्ञान मुद्रा को अपनी बाहों में लिए हुए दिखाई देती है, और राक्षसों और बुरी ताकतों के साथ युद्ध के लिए तैयार रहती है। करुणामयी देवी कभी भी अपने भक्तों की सहायता के लिए आ सकती हैं और क्षण भर में उनके कष्ट दूर कर सकती हैं।
ऐसा माना जाता है कि शुक्र ग्रह देवी चंद्रघंटा द्वारा शासित है। इसलिए माँ चंद्रघंटा दुनिया के सभी कष्ट हर लेगी और सभी को सुख देगी और लोगों के जीवन को सहज और सुखमय बनाएगी। माँ चंद्रघंटा की कृपा से, आप सभी को धन और समृद्धि प्राप्त होगी।
पूजा की विधि
सुबह उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़क कर उसकी शुद्धि कर लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
मां दुर्गा का गंगा जल से जलाअभिषेक करें।
मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ा सकते है।
धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
अंत में मां की आरती करें।
मां को भोग भी लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:40 से 05:29
अभिजित मुहूर्त- प्रातः11:45 से दोपहर 12:31
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:05 से 02:51
गोधूलि मुहूर्त- सांयः 05:46 से 06:10
अमृत काल- प्रातः 08:48 से 10:15
रवि योग- प्रातः 06:18 से सांयः 04:४७
मां चंद्रघंटा की आरती-
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
मां चंद्रघंटा का भोग- मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करनी चाहिए।