Dussehra 2022: हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है दशहरा का पर्व। यह पूरे भारत वर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, लोग का मानना है की इस दिन भगवान श्री राम ने रावण पर विजय विजय प्राप्त किया था।
पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक माता दुर्गा के पूजन के बाद यह पर्व मनाया जाता है जिसमें जगह-जगह पर रावण दहन किया जाता है। इस दिन हर घर में विशेष रूप से पूजन भी होता है।
दशहरा 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल दशमी तिथि अश्विन माह की 4 अक्टूबर 2022 की दोपहर 02.21 बजे से शुरू होकर 5 अक्टूबर 2022 की दोपहर 12 बजे तक रहेगी।
तिथि आरंभ – 4 अक्टूबर, मंगलवार, दोपहर 02.21 बजे से
तिथि समापन- 5 अक्टूबर, बुधवार दोपहर 12 बजे तक
उदया तिथि के अनुसार दशहरा 5 अक्टूबर को मनाना ही शुभ होगा।
आइये जानते है इस विजयदशमी पर क्या शुभ योग बन रह है
दशहरा के दिन अमृत काल और दुर्हुमूर्त दो शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिष की मानें तो ये दोनों ही शुभ मुहूर्त किसी भी शुभ कार्य के आरंभ के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं।
दशहरा क्यों मनाया जाता है
9 दिन की शारदीय नवरात्रि के समापन के ठीक बाद, दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन करके और श्री राम की विजय पर खुशियां प्रकट करते हुए मनाया जाता है। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार यह पर्व राक्षस महिषासुर पर माता दुर्गा की विजय का भी दिन माना जाता है।
दशहरा के पर्व का महत्व
हिन्दू धर्म में दशहरा पर्व सबसे मुख्य त्योहारों में से एक है। हिन्दू मान्यता के अनुसार इसी दिन प्रभु श्री राम जी ने रावण का वध कर के उसके पापों का नाश किया था। रावण के वध और भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में ही यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को सत्य की असत्य पर जीत के रूप में मनाया जाता है और यह पर्व हमेशा सत्य की विजय का ही संकेत देता है।
इस दिन रावण के साथ उनके भाई कुंभकर्ण और और बेटे मेघनाथ के पुतलों का भी दहन किया जाता है। पुतले दहन करना नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक माना जाता है।
जानिए दशहरा के दिन पूजन विधि
नवरात्रि में यदि आप 9 दिनों का उपवास रखते हैं तो आप दशहरा के दिन व्रत का पारण कर सकते हैं।
इस दिन मुख्य रूप से शमी के पौधे की पूजा करनी चाहिए।
पूजा के लिए गाय के गोबर के 5 पुतले बनाकर उस पर पीले फूल चढ़ाएं और घर की सुख शांति और समृद्धि की कामना करें।
कई जगहों पे इस दिन घर के शस्त्रों की पूजा का भी विधान है, पीले फूल या हरसिंगार के फूल चढ़ाने चाहिए।
इस दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी का पूजा करे और लाल सिन्दूर चढ़ाएं।
घर की समृद्धि की कामना करते हुए रावण के पुतलों का दहन करें।
ऐसा भी माना जाता है कि दशहरा के दिन यदि आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएं तो आपका जीवन सुखमय हो सकता है। इस दिन अपने पूरे घर को सजाएं और पूरे श्रद्धा भाव से ईश्वर से समृद्धि की कामना करें।
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