आपको लग रहा होगा पृथ्वी एक छोटा सा बाल है जिसकी खुदाई हो सकती है। ऐसा नहीं है, पृथ्वी अंदर से धधकता हुआ आग का गोला है। पृथ्वी के कोर का तापमान और सूरज के सतह का तापमान एक समान है। ऐसा कोई भी टूल या औजार नहीं है जो इस अत्यधिक तापमान पर गले ना। पृथ्वी के कोर तक कोई पहुंच ही नहीं सकता , पृथ्वी का ऊपरी परत ( क्रस्ट) ही लगभग 24 किलोमीटर तक गहरा है, अगर पृथ्वी को एक सेब मानें तो पृथ्वी का ऊपरी परत सेब का छिलका है। अब समझ लीजिए कितनी गहराई है।
पृथ्वी पर सबसे गहरा गड्ढा-
1970 में रुसी वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यूं ना पृथ्वी पर सबसे गहरा होल किया जाए, लगातार 19 साल तक खुदाई करने के बाद वैज्ञानिक 12 किलो मीटर तक गड्ढा खोद चुके तभी उनकी मुसिबतें बढ़ने लगी। 12.262 किमी तक पहुंचने पर उनकी मजबूत मशीनें ठप पड़ गई, जब उन्होंने तापमान चेक किया तो वहां का तापमान 180 डिग्री सेल्सियस था। यह इतना ज्यादा तापमान था कि टूल्स गलने लगे।
यह ड्रिल मशीन बेहद एडवांस और अत्याधुनिक था लेकिन 12 किमी में ही इसने जवाब दे दिया, आप को बता दें पृथ्वी के गर्भ तक पहुंचने के लिए 6400 किलो मीटर तक खोदना पड़ेगा , और यह खुदाई सिर्फ 0.2% ही है। अंदाजा लगा सकते हैं कि पृथ्वी के केंद्र तक पहुंचना ही संभव नहीं है फिर इसको पार करके उस पार निकलना तो असंभव ही मानिए।
रुसी वैज्ञानिकों ने इस डरावने गड्ढे को ” कोला सुपरडीप बोरहोल” नाम दिया है। वैज्ञानिकों ने इसे नर्क का द्वार भी कहा है।
नर्क का द्वार-
दरअसल हुआ यह कि जब 12262 मीटर पर मशीन खराब हो गई, तब वहां की आवाज को रिकॉर्ड किया गया। आवाज सुनकर सभी डर गये, वह आवाज वैसी थी जैसे बहुत सारी बुरी आत्माओं को नर्क की आग में जलाया जा रहा हो। यह आवाज लोगों के कराहने, तड़पने, चीखने चिल्लाने जैसी थी। ऐसा लग रहा था मानों सभी को प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसी खौफनाक आवाज सुनकर लोगों ने काम करना बंद कर दिया और अभी खुदाई बंद हो चुकी है। यह इतना डरावना गड्ढा है कि लोग इसके पास जाने से डरते हैं।
हालांकि कुछ वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के अंदर पिघलने वाले लावे को इसकी वजह बताई है।