देश के रक्षामंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं। लेकिन विचारधारा के चश्मे से देखकर वीर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें उपमानित करना क्षमा योग्य और न्यायसंगत नहीं है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक ‘वीर सावरकर हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन’ के विमोचन कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों के सामने दी थी। सावरकर के बारे में झूठ फैलाया गया।
पुस्तक के विमोचन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी हिस्सा लिया। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा कि एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका वीर सावरकर के जीवन एवं विचारधारा से अपरिचित है और उन्हें इसकी समझ नहीं है, वे सवाल उठाते रहे हैं।
प्रखर स्वतंत्रता सेनानी, प्रबल राष्ट्रवादी एवं विचारक वीर सावरकर के जीवन पर श्री उदय माहूरकर एवं श्री चिरायु पंडित द्वारा लिखी एक पुस्तक के विमोचन समारोह में सम्मिलित हुआ। मैं लेखक-द्वय को पुस्तक प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई और अपनी शुभकामनाएं देता हूं। pic.twitter.com/aEkCE0XeCE
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 12, 2021
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन उन्हें हेय दृष्टि से देखना किसी भी तरह से न्यायसंगत और उचित नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
उन्होंने कहा कि वीर सावरकर महानायक थे, हैं और भविष्य में भी रहेंगे। देश को आजाद कराने की उनकी इच्छा शक्ति कितनी मजबूत थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने उन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई, कुछ विशेष विचारधारा से प्रभावित लोग ऐसे राष्ट्रवादी पर सवालिया निशान लगाने का प्रयास करते हैं।
Speaking at the Book Launch event of ‘Veer Savarkar: The Man Who Could Have Prevented Partition’. Watch https://t.co/5rfIZ6B4qH
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 12, 2021
लोगों में सावरकर के बारे में जानकारी का अभाव है – मोहन भागवत
सावरकर पर लिखी पुस्तक के विमोचन के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आजादी के बाद से वीर सावरकर के बारे में लोगों में जानकारी का अभाव है। लेकिन अब लोग इस पुस्तक के जरिए वीर सावरकर को जान सकेंगे। इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद का नंबर है। उनके बारे में भी सही जानकारियां लोगों तक पहुंचाई जाएंगी।
भागवत ने कहा कि आजादी के बाद से ही सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई जा रही है। लेकिन अब इस पुस्तक से लोगों में यह भ्रम टूट जाएगा। वीर सावरकर जो भी थे, वे स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद के विचारों से प्रभावित थे।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “भारतीय परंपरा धर्म से जुड़ती है, ये परंपरा उठाने वाली है न कि बिखेरने वाली। कुल मिलाकर ऐसे समझें कि भारतीय धर्म मानवता है। जो भारत का है, उसकी सुरक्षा और प्रतिष्ठा भारत से जुड़ी है।”