अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा का लभगभ एक महीने होने को है। लेकिन अभी तक सरकार गठन को लेकर संगठन में तालमेल नहीं बैठ पाया है। तालिबान को उकसाने में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका मानी जा रही है।
ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान की मदद से ही एक छोटे-मोटे या यूं कह लें जिसे दुनिया नहीं जानती, ऐसे तालिबानी नेता मुल्लाह हसन अखुंद को राष्ट्रपति पद पर बैठाया जाएगा ताकि संगठन के दोनों धड़ों में हो रही उठापटक पर विराम लगाया जा सके।
‘द न्यूज इंटरनेशनल’ की खबर के मुताबिक, मुल्लाह हसन अखुंद को भी संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकवादी घोषित किया जा चुका है। बता दें कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में तालिबान के अलग-अलग गुटों के बीच अभी तक सरकार गठन को लेकर फैसला नहीं हो पाया है। राजधानी काबुल पर तालिबान ने 15 अगस्त को ही कब्जा कर लिया था।
फिलहाल अफगानिस्तान में मुल्लाह बरादर, हक्कानी नेटवर्क के बीच सत्ता को लेकर खींचतान जारी थी। अब नए फॉर्मुले के मुताबिक, मुल्लाह बरादर और मुल्लाह उमर के बेटे मुल्लाह याकूब को उपराष्ट्रपति का पद तालिबान सरकार में दी जा सकती है।
वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल हक्कानी नेटवर्क के सिराज हक्कानी को सबसे अहम गृह मंत्रालय दिया जा सकता है। तालिबान के हिबतुल्लाह अखुंदजादा को सुप्रीम नेता बनाया जा सकता है। ऐसा तय माना जा रहा है।
बता दें कि मुल्लाह हसन अखुंद ने 2001 में अमेरिकी सेना के आने से पहले भी तालिबानी शासन में मंत्री पद संभाला है। मुल्लाह हसन अखुंद का जन्म अफगानिस्तान के कंधार में हुआ था। खुंद के पास फिलहाल तालिबान के शक्तिशाली संगठन रहबरी शूरा की कमान है, जो अहम फैसले लेती है।